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Friday, November 12, 2010

तब कहना हमने प्यार किया..

I had written this a long time back....was just thinking about these lines today. So, I sat down to find these lines and type them in hindi.

बहुत कुछ आया मन में, बहुत कुछ रह गया,
कितना थामा झूठी मुस्कान को, फिर भी अंत में सब बह गया|
जो स्वयं से बड़ा हो, जो अहम् के परे हो,
बस एक ही है रास्ता, फिर क्यूँ मोड़ पर यूं खड़े हो,
वो रास्ता, वो कदम हर बात से बड़े हैं,
फिर सोचते हैं हम किसका हाथ थामे खड़े हैं?
हर स्पर्श, हर प्रेरणा हर भावना का बस एक कवि,
मारीचिका  सी छलती है जिसकी वो पूज्य छवि,
बाकी सब तो एक उलझन में उलझे लगते हैं,
कभी सुन्दर, कभी कठोर, शब्द अर्थों से ठगने लगते हैं|
उस वैराग्य में, उस चेतना में, उस विश्वास में,
वास्तविकता में आध्यात्म के अतुल्य आभास में
बिना छोर की डोर के सारे विस्तार में,
मन की हर प्रार्थना में व्यक्त आभार में
अपने अस्तित्व के अर्थ को जो एक नए सिरे से दिखलाए,
जो समर्पण में सुख का अनुभव करना सिखलाए,
मैं-तुम और हम नहीं, बस वो ही रह जाता है,
जब एक अनुभूति का ज्ञान हृदय पटल पर आता है
तब लगता है कुछ भी नहीं जाना अब तक तो,
एक भ्रम सा था जीया था जो.
अब इस राह अकेले चलना हैं,
कच्ची मिटटी को कुछ राख से मलना है
फिर उससे मिलना है, उसको जानना है,
तुम्हे नहीं, बस उसी को आधार मानना है.
उसी से क्षमा, उसी से कृपा, उसी से बस ध्यान चाहिए,
इस जीवन में स्नेह सीख जाऊं, इतना आत्म-ज्ञान चाहिए,
वो अथाह, वो निर्बाध,  
वो अबोध, वो निरपराध,
उसको समझ लिया, उसको ग्रहण किया और उसको अगर धार लिया,
तब समझना सब साधना हो गई, तब कहना हमने प्यार किया..