खुरच खुरच कर यादों से ,
क्यूँ दुःख ही बस चुनते हैं
क्यूँ कभी उस बेहिचक सी,
स्वछंद हंसी की
खिलखिलाहट को नहीं सुनते हैं
किसी की बंधी सोच से ,
हम क्यूँ बंध जाते हैं
किसी के अहम् की क्षुधा को
क्यूँ अपने आसुओं से बुझाते हैं
अपने परों पे उड़ना
अपनी राहों पे मुड़ना
अपने रंगों की बूंदों से
अपने जीवन चित्र को बुनना
यह अहंकार नहीं
मेरा अधिकार है
मेरी हर परिभाषा
मेरे सपनों की हर उड़ान का आधार है
उड़ान
5 comments:
"कुम्हलाई धूप की आड़ में
कुछ सपनों की चादर ओढ़े,
मैं बहती जीवनधारा में तिरता
कुछ अपनों की आशाएं जोड़े."
भाषा भावनाओं के लिए सिर्फ़ माध्यम होती है और कभी-कभी हमारे शब्द (हिन्दी तथा अँग्रेज़ी) इस तथ्य को अंजाने में ही परिभाषित कर देते हैं.
वैसे 'शुधा' शब्द का मतलब क्या होता है? या वो शब्द 'क्षुधा' है?
I wonder too...where have all the happy memories gone ??
beautiful poem, and also an inspiration.
bahut hi sundar hai,,,, bahut dinon baad aapko hindi main lkhte paaya hai... :)
@misanthrope : Thanks for pointing that out, I corrected the word.
Those lines are beautiful.
@Sinjhini: Thanks dear, hindi mein kaafi likhti hoon, but don't post it that often. It takes more time :). Nice to see you active on blogger after a long time!
@vagabond: Thanks! Sometimes you just need to remind yourself of the good things in life.
यह अहंकार नहीं
मेरा अधिकार है
मेरी हर परिभाषा
मेरे सपनों की हर उड़ान का आधार है
badhiyyaaaa...waaaahhh
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